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कड़ी

Arya prashikshan Satra 16-17 Jun 2012

10 जून

Arya prashikshan Satra 16-17 Jun 2012

 
“आर्य निर्माण-राष्ट्र निर्माण” ऋषि कहते हैं-वेदादि शास्त्र विद्या के बिना ईश्वर और धर्मं को न जानके अधर्म से कभी नही बच सकते हैं। ऋषि विद्या की अप्रवृति के कारण महाभारत का युद्ध एवं मत-मतान्तरों की उत्पति को बतलाते हुए कहते हैं- यह बात सिद्ध है की पांच सहस्र वर्षों के प…ूर्व वेद मत से भिन्न दूसरा कोई मत न था, क्योंकि वेदोक्त सब बातें विद्या से अविरुद्ध हैं। वेदों की अप्रवृति होने का कारण महाभारत युद्ध हुआ। इनकी अप्रवृति से अविद्यान्धकार के भूगोल में विस्तृत होने से मनुष्यों की बुद्धि भ्रम युक्त होकर, जिसके मन में जैसा आया वैसा मत चलाया। ऋषि दयानंद आर्यावर्त्त के पतन के कारण को लिखते हैं- जब बड़े-बड़े विद्वान, राजा, महाराजा, ऋषि, महर्षि लोग महाभारत युद्ध में बहुत से मारे गये और बहुत से मर गये, तब विद्या और वेदोक्त धर्मं का प्रचार नष्ट हो चला। ईर्ष्या, द्वेष, अभिमान आपस में करने लगे। जो बलवान हुआ, वह देश को दाब कर राजा बन बैठा। वैसे ही सर्वत्र आर्यावर्त्त देश में खंड-खंड राज्य हो गया। इसी से आर्यों के वंशज वेदोक्त मत से विमुख हो हजारों वर्षों तक म्लेच्छों की गुलामी का महादुख झेलते रहे हैं, यह महापतन यहाँ तक है कि आर्य संताने अपने राष्ट्र क्ले नाम आर्यावर्त्त को ही भूल गये हैं, उसके पुनरुद्धार और प्रतिस्थापना की कौन कहे? आओ हम चलें! बढ़ें! अपने राष्ट्र “आर्यावर्त्त” की पुनर्स्थापना की और- इसका प्रमुख उपाय है वेद मत, आर्य विद्या अर्थात आर्यों के वैदिक सिद्धांतों को जानना-जनवाना, मानना-मनवाना, धारण करना और करवाना।   राष्ट्रभक्तो! आर्यावर्त्त के निर्माण हेतु राष्ट्रीय आर्यनिर्मात्री सभा के द्वारा अनवरत संचालित “आर्य प्रशिक्षण सत्रों में वैदिक अर्थात आर्य सिद्धांतों को जानना और हृदयंगम करना ही सर्वोत्तम उपाय है। -जय आर्यावर्त्त!
 
 
 

Arya prashikshan satra Samachar

6 जून

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/haryana/4_6_9081311.html

 

वेद संसार का प्राचीनतम ग्रंथ : आचार्य धर्मपाल

 
Mar 31, 07:20 pm
 
 

जींद, जागरण संवाद केंद्र : ब्राह्मण धर्मशाला में दो दिवसीय आर्य प्रशिक्षण सत्र का आयोजन राष्ट्रीय आर्य निर्मात्री सभा द्वारा किया गया। इसमें 150 सत्रार्थी पहुंचे। कुरुक्षेत्र से आए आचार्य धर्मपाल ने अपने व्याख्यान में कहा कि वेद संसार का प्राचीनतम ग्रंथ है और वेद विद्या ही संसार की प्राचीनतम विद्या है। इसी के मार्ग पर चलकर संसार का उद्धार हो सकता है।

आचार्य ने बताया कि आर्य ईश्वर को सही प्रकार से जानता व मानता है और ठीकठाक विधि द्वारा उसकी उपासना करता है। आचार्य ने बताया कि आर्य सिद्धांतों के द्वारा ही राष्ट्र को उन्नत व भय भ्रष्टाचार से मुक्त किया जा सकता है। आर्य सिद्धांत प्राणी मात्र की रक्षा के लिए हैं। इस अवसर पर राजबीर, सुशील, जसवीर, राजेश, बलवान, विनोद, अभिमन्यु आदि मौजूद थे।Image

Arya prashikshan satra 9-10 Jun 2012

5 जून

आर्य क्रांति के लिए आर्य प्रशिक्षण सत्र. आर्य एकता के लिए आर्य प्रशिक्षण सत्र.

आर्य प्रशिक्षण सत्र (९-१० जून, २०१२)

 

1. ऍम. आर. पब्लिक स्कूल, शहरपुर, महेंद्रगढ़. संपर्क-आर्य महेंद्र -०९८१२७८८०५७.

२. आर्य समाज, सागरपुर, दिल्ली. संपर्क- आर्य सत्यकाम-९९९००५३६३०.

३. राजकीय प्राथमिक पाठशाला, टीक, कैथल. संपर्क-आर्य मेहर-९३५५७१९२७१. आर्य नवीन-९४१६१५८८९८.

४. महर्षि दयानंद पब्लिक स्कूल, गग्सिना, करनाल. संपर्क- आर्य दिलबाग-९२५४०९२२३०.

५. सनातन धर्मं मंदिर, ग्राम अगोन, निकट फिरोजपुर झिरका, मेवात. संपर्क- आर्य दुलीचंद- ९८१३९२७१३८.

 ६. आई. पी. एस. स्कूल, शिव दुर्गा विहार, लक्कड़पुर, फरिबाद. संपर्क- आर्य कर्मवीर-९३१०१०५३७४.

 

 महिला आर्य प्रशिक्षण सत्र(९-१० जून, 2012)

 १. आर्य समाज, गोबिन्द्पुरी, मोदीनगर, गाजिआबाद, उ. प्र. संपर्क- आर्य मलखान सिंह-९९२७३२३९७७.

 

 महिला आर्य प्रशिक्षण सत्र (१३-१४ जून, २०१२)

१. राजकीय कन्या स्कूल, क्योड़क, कैथल. आर्य जसबीर-८९५०१०७८९८.